तन-मन-धन से कर रहे , हिन्दी का उत्थान
कान्वेन्ट में पढ़ रही औ, उनकी सन्तान
हिन्दी सेवा, कान्वेन्ट, अजब विरोधाभास
पूछा हमने इक प्रश्न जाकर उनके पास
करनी-कथनी में फर्क यह कैसा उत्थान?
हिन्दी सेवी हंस कहे, ‘ मूर्ख हैं श्रीमान!
लगता हाथी दांत पर नहीं किया है गौर
खाने के कुछ और हैं दिखलाने के और!
raaj bhaai
जवाब देंहटाएंwah........bahut khoob likhaa hai...