मशीने अब गई हैं थम जरा बीडी पिला
मैं भी ले लूं दम जरा बीडी पिला
कीडे-मकौडे क्षुदर जन्तु जो भी हों उनके लिए
आदमी नहीं हम जरा बीडी पिला
एशो-अय्याशी हमारे श्रम पे वे करते रहें
हम खटें हरदम जरा बीडी पिला
मां का गठिया पेट पालन और बिटिया का विवाह
छोड फिकरो-गम जरा बीडी पिला
इनकी सरकारें सही हैं उनकी सरकारें गलत
कौन किससे कम जरा बीडी पिला
वो अमीरी ये गरीबी वो सवर्ण और हम दलित
हम नही हैं सम जरा बीडी पिला
हजारों गम हैं इस जीवन में किसका गम करें
गम तो हैं हमदम जरा बीडी पिला
सीवर में हुई है मौत साथी की मगर तू मत करे
राज आंखें नम जरा बीडी पिला
वा…………।!! क्या बात है………………………।
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