दोस्ती का ऐसा मंजर देखते हैं
दोस्तो के कर में खंजर देखते हैं
यहां कैसे उगें समता की फसलें
दिलों की भूमि बंजर देखते हैं
कफन के हैं वही घीसू और माधव
जमाने का वो अंतर देखते हैं
जहां मिलती हैं सब धर्मों की नदियां
वो भारत का समन्दर देखते हैं
भेडिये दिखते हैं हम को भेड मे क्यों
मुखौटों के जो अन्दर देखते हैं
किस तरह बंटता है इन्सा राज यहां पर
गुरूदवारे, चर्च, मस्जिद और मंदिर देखते हैं
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