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शुक्रवार, 8 मार्च 2013

YE CHEHRA KITAABI

    दुनिया मेरे आगे


ये चेहरा किताबी!
-राज वाल्मीकि
आज तो सचमुच में चमत्कार हो गया। फेसबुक पर न जाने कैसे एक साथ मेरी सात-सात स्कूल की सहेलियां मिल गईं - वह भी 15 साल बाद! और मैंने मान लिया कि सच में दुनिया गोल है। यह फेसबुक का चमत्कार है। सच आज फेसबुक को धन्यवाद देने का खूब मन कर रहा है।(विपिन चौधरी, कवियत्री)। ऐसी ही फीलिंग न जाने कितने लोगों को हुई होगी। मेरे एक मित्र कहते हैं कि यह आभासी दुनिया है। दूसरे मित्र कहते हैं कि यहां दिखता कुछ है और होता कुछ है। फिर भी उनके फेसबुक एकाउंट जरूर होते हैं। यानी सारे इसकी शिकायत करते हैं -फिर भी इससे मोहब्बत करते हैं। वैसे फेसबुक के फायदे गिनाने वालों की संख्या भी कम नहीं है। इसे सोशल मीडिया भी कहा जाता है। इसके माध्यम से आप अपडेट भी रह्ते हैं। मित्रो से जुडे भी रहते हैं। अगर आपके पास इंटरनेट कनेक्सन की सुविधा है तो आप फेसबुक का लाभ उठा सकते हैं। आप अपने दोस्तो से निशुल्क बात कर सकते हैं। फेसबुक पर आप अच्छे दोस्त बना सकते है। एक साथ कई दोस्तो से बात कर सकते है। अपनी भावनाए  शेअर कर सकते है। फोटो शेअर कर सकते हैं। मेसेज भेज सकते है। ये अलग बात है कि अन्य आविष्कारो की तरह फेसबुक का दुरुपयोग भी हो सकता है - होता भी है। किशोर-किशोरियो के अधिकाश माता-पिता चाह्ते है कि उनके बेटा-बेटी फेसबुक एकाऊट ना खोलें -क्योंकि कोई फ्रोड उनके बच्चो को बह्का ना ले। कई बार लोग आपत्तिजनक  फोटो या अश्लील या विचलित करने वाली तस्वीर भी शेअर कर देते हैं। कुछ धार्मिक भावानाओ को भड्काने वाली टिप्पणी भी पोस्ट कर देते हैं। बावजूद इसके बहुत कुछ अच्छा भी होता है। लोग अच्छे-अच्छे मेसेज सुंदर-सुंदर तस्वीरे भी शेअर करते हैं। उपयोगी सूचनाए भी हमे फेसबुक पर मिल जाती हैं। लोग दुख और खुशी के पल, शादी-विवाह, कार्यकर्म, अपनी उपलब्धियां, यादगार तस्वीरो को भी शेअर करते हैं। इस तरह मित्रो के साथ सूचनाओ का आदान-प्रदान आसानी से हो जाता है।
फेसबुक एक मंच भी है। वर्तमान ज्वलंत समस्याओ पर बहस करने के लिए। यहा हम स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय एवम अंतर्राष्ट्रीय मुद्दो पर बहस कर सकते है - करते है। फेसबुक पर आप लोगो की सकारात्मक एवम नकारात्मक दोनो तरह की प्रतिक्रियाए देख सकते हैं। कुछ लोग कहते है कि फेसबुकिया मित्र बहुत विश्वश्नीय नही होते। कई बार तो लोग अपना जेनडर ही चेंज कर लेते है अर्थात् पुरुष स्त्री बन जाते है और स्त्री पुरुष, मामला बहुत कन्फ्यूजनात्मक हो जाता है। पर मित्र इसके सकारात्मक फायदे भी कम नही हैं। कई लोग फेसबुक पर बहुत अच्छे मित्र भी बन जाते है। कई विपरीतलिंगियों का प्यार भी परवान चढ जाता है। कई साहित्यकारो को तो पुरुस्कार भी फेसबुक की वजह से ही मिले हैं। फेसबुक के माध्यम से हम अपने देश - विदेश के मित्रो से भी घर या दफ्तर मे बैठे-बैठे रूबरू  हो सकते हैं। बात कर सकते हैं। वैसे आजकल फेसबुक के साथ-साथ ओरकुट एवम टवीट्रर भी मैदान मे हैं। पर कहते है कि फेसबुक की है बात और!
यदि आपके पास कम्प्युटर, लैपटोप, टेबलेट या मोबाईल और इंटरनेट की सुविधा है तो आप अपने मित्रो का  काफी बडा नेट्वर्क  बना सकते हैं। फेसबुक मे लोगो की मित्र सूची मे तीन-तीन हजार तक मित्र होते हैं। आज का युग सूचना क्रांति का युग है। अगर आप समय के साथ चलना चाह्ते है तो उपरोक्त गैजेट्स आपके हमसफर हो सकते है और अन्य साईटो के साथ-साथ फेसबुक भी आपकी मदद्गगार हो सकती है। पर इसका उपयोग समझादारी से करना चाहिए जैसे चाकू से सब्जी भी कट सकती है और मर्डर भी।   
फिल्मी गीत की पंक्तिया है-किताबें बहुत-सी पढ़ी होंगी तुमने, बता मेरे चेहरे पे क्या -क्या लिखा है। साहब चेहरा पढ्ना सबके वश की बात नही होती। वैसे कहते हैं कि चेहरा हमारे दिलो-दिमाग का आईना भी होता है। फेसबुक पर भी एक विकल्प होता है- आपके दिमाग मे क्या है। उस समय जो भी आपके दिलो-दिमाग मे हो आप फेसबुक के माध्यम से शेअर कर सकते हैं।
    फ़ेसबुक किसी के दिल बहलाने का माध्यम है तो किसी को अवार्ड जितवाकर बनाती है खिताबी्। सचमुच आज की जरूरत है-ये चेहरा किताबी। नहीं क्या!
(कार्यालय सहकर्मी ऊषा जी, सचिता जी, सना जी एवं अर्चना जी के सहयोग से)
संपर्कः 9818482899, 36/13 ग्राउण्ड फ्लोर, ईस्ट पटेल नगर, नई दिल्ली-110008

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